{ सत्संग की आवश्यकता }
सत्संग :-
जीवन सदैव परिवर्तनशील है जीवन सुखद परिस्थितियों में सुख के भाव से बंध कर सुख को स्थायी करने के प्रयास से संघर्ष करता रहता है । जब वो सफल नहीं हो पता तो उदासी अकेलेपन, दुख और भय से घिर जाता है ऐसे अंधकारमय जीवन रुपी कमरे में सत्संग किसी झिर्री (सुराग, छेद) से आती हुई धुप के समान है जो अंधेरे कमरे में प्रकाश बिखेर कर अँधेरा दूर करती रहती है । अतः जीवन रुपी कमरे में सत्संग रुपी धूप आने के लिए कम से कम एक झिर्री सदा खुली रहे इतना सदा ध्यान रखना चाहिए । अर्थात सत्संग के अलावा किसी और मार्ग से तुम सुखी नहीं हो सकते इसे इस जन्म में समझो या १० जन्म बाद मर्जी तुम्हारी ।
सत्संग सबसे बड़ा दान :-
आप स्कूल खोल दो, अस्पताल खोल दो, कम्बल बाँट दो, भंडारा करते रहो ये अच्छी सेवाएं एवं पुण्य कार्य है किन्तु इन तरीको से लोगो के न तो कर्म सुधारते है, न उन्हें परमात्मा का अनुभव होता है उनका छोटा मोटा फायदा तो जरूर होता है किन्तु वे अपने जीवन के परम अर्थ को नहीं जान पते अतः न उनका ये लोक सुधरता है न परलोक (हो सकता है कई चार पैसे कमा कर अहंकारी हो जाए) सिर्फ सत्संग द्वारा इंसान में सच्चे संस्कार पैदा होते है ।
ये भी पढ़ें…मनुष्य कलियुग में मोक्ष की प्राप्ति कैसे कर सकता है
अतः किसी परमात्मा के साक्षात्कारी पुरुष द्वारा किये जा रहे सत्संग दान में अपना श्रम, धन, सेवा एवं उसकी आज्ञा पालन कर अपना सहयोग प्रदान करना चाहिए इससे ज्यादा बड़ी मानवता की सेवा आप नहीं कर सकते इससे बड़ा कोई पुण्य नहीं क्योंकि सत्संग द्वारा जो ज्ञान मिलता है उससे व्यक्ति इस लोक में भौतिक सम्पन्नता भी प्राप्त कर सकता है निरोगी भी हो सकता है परमात्मा प्राप्ति भी कर सकता है जिससे वो स्वयं अनेको लोगो (प्राणियों) का भला कर सकता है ।
जिस घर में एक परमात्मा प्राप्त व्यक्ति अर्थात संत पैदा हो जाता है उसकी २१ पीढ़ियां तर जाती है ये भगवान श्री कृष्ण का वचन है ।
तरने से मतलब २१ पीढ़ियों के पाप छमा हो जाते है और उनको भी परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है । और स्थाई सुख मिलता है । सत्संग दान का ये अर्थ नहीं कि बिना साक्षात्कार के आप प्रवचन देना शुरू कर दें जो ऐसा करते है वो गलती करते है । आप किसी संत से जुड़ कर अपनी सेवाएं दें यही आप के द्वारा सत्संग दान कहा जायेगा । मेरी समझ से इससे बड़ी कोई सेवा नहीं भंडारा कम्बल बांटना अदि इसके छोटे अंश है । अपना भाग्य बनाने के लिए सत्संग दान में सहभागी बने । इस प्रकार सत्संग के अनंत फायदे है ।